मई २०१०
आत्मज्ञान हुए
बिना मुक्ति सम्भव नहीं है. आत्मा के सात गुण हैं शांति, आनंद, सुख, प्रेम, ज्ञान,
पवित्रता और शक्ति ! जिनकी कमी से जीवन अधूरा ही नहीं रहता बल्कि उसमें पीड़ा भर
जाती है. शांति यदि न हो तो नर्वस सिस्टम रोगी हो जाता है, आनंद न हो तो
अंतर्स्रावी ग्रन्थियां अपना काम ठीक से नहीं करतीं. सुख न हो तो भोजन नहीं पचता,
प्रेम न हो तो ह्रदय रोग होने का खतरा है, पवित्रता न हो तो कर्मेन्द्रियाँ रोगी
हो जाती हैं तथा शक्ति न हो तो संकल्प दृढ नहीं हो पाते. हमारी शारीरिक व मानसिक
बीमारियों का इलाज योग के पास है. योग होते ही आत्मा के द्वार खुल जाते हैं और
जीवन में विस्मय हो तो योग घटित होता है.
प्रेरक - उद्बोधन ।
ReplyDeleteस्वागत व आभार शकुंतला जी..
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