फरवरी २०१०
वसुधा,
वसुंधरा, धरा, धरित्री, पृथ्वी, मही, भू, भूमि, मेदिनी, श्री, विष्णु पत्नी इतने
सारे नाम हैं धरती माँ के, हर एक का अलग अर्थ है. भू का अर्थ है होना. पृथ्वी जड़
नहीं, स्थिर नहीं किसी आकर्षण में बंधी घूम रही है. भूमि का अर्थ होने की
प्रक्रिया को आधार देने वाली अर्थात जिन्हें वह आधार देती है उन्हें भी एक दूसरे
के लिए क्रियाशील देखना चाहती है. धरा, धरित्री का अर्थ धारण करने वाली अर्थात
सहनशीलता, क्षमा, शक्ति, क्षमता. धरित्री माँ को भी कहते हैं. वह माँ की तरह उदार
है. वसुधा कहते हैं क्योंकि कितनी सम्पदा इसके पास है. वसु धन भी है और वसु रहने
का साधन भी है, वह देवता भी है, वसुधा का अर्थ इसलिए घर मात्र नहीं है, घर की
आत्मीयता भी है. पृथ्वी का अर्थ विस्तारवाली है. विष्णु ने मधु-कैटभ का वध किया
उसके मेद से बना स्थूल पिंड, तभी वह मेदिनी कहलायी. श्री भूदेवी है, आश्रय देने
वाली. इन सब अर्थों को लेकर पृथ्वी की आराधना करें तो ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का अर्थ
समझ में आता है, शेष इस पर रहने वाले लोगों की आत्मीयता से बनता है.
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