Friday, June 5, 2015

जिस क्षण एक हुआ यह मन

जुलाई २००९ 
धर्म की साधना है मन रूपी दाल को फिर बीज बनाना, बीज में ही अंकुर फूटता है. एक क्षण में तब अंकुर वृक्ष बनने लगता है. बीज के लिए धरती है शब्द, सत्संग, गुरू के वचन, मनन. जिस वक्त संध्या काल हो अर्थात मन एक अवस्था से दूसरी में जा रहा हो तब यह बीज बोना चाहिये, जैसे निद्रा और जागरण के मध्य या जागरण और निद्रा के मध्य ! जुड़ा हुआ मन ही गहराई में जा सकता है. 

2 comments:

  1. मेरे गुरू जी कहते थे कि मन उस परमानंद का हिस्सा है और तभी विश्राम पाता है जब उससे जुड़ जाये । अन्यथा कोई उपाय नहीं।

    जुड़ा हुआ मन ही गहराई में जा सकता है-सत्य वचन॥

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  2. सही कहा है आपने...स्वागत व आभार सतपाल जी...

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