अभी तक दूर था कोरोना, कल ही पता चला हमारी कालोनी में भी चेन्नई से लौटे एक व्यक्ति को संक्रमण हुआ, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी उसे ले गए, परिवार को क्वारन्टाइन कर दिया गया है. पूरी बिल्डिंग को ही बंद कर दिया है. यह इमारत हमारे घर से आधा किमी दूर है. सुबह-शाम अभी तक बिना किसी भय के टहलने जाते थे, शायद अब संभव न हो. आज सुबह पहली बार बाहर जाते समय इसका अहसास हुआ. पूरे विश्व में लाखों लोग इसी और इससे कहीं ज्यादा आशंका में जी रहे हैं. ऐसे में आवश्यक है कि मन यदि एक क्षण के लिए भी विक्षेपित हो तो तत्क्षण उसे सचेत कर दिया जाये. जीवन क्षण-क्षण में मिलता है, यदि एक पल गया तो उसका अगला पल भी वैसा ही फल लाने वाला है. सचेत रहना होगा और नजर खुले विस्तीर्ण आकाश पर रखनी होगी, जिसके नीचे न जाने कितनी महामारियाँ जन्मी, पनपीं और नष्ट हो गयीं. कोरोना भी अपना असर कुछ काल तक और डालेगा, कुछ महीने, एक साल, दो साल या उससे भी ज्यादा, अभी कुछ नहीं कहा जा सकता. जीवन कितना बहुमूल्य है यह सबक सीखने का सुनहरा अवसर है आज, धन की सही कीमत क्या है और रिश्तों की अहमियत क्या है, यह सीखने का वक्त भी है आज. परमात्मा ही संचालक है मानव की अल्पबुद्धि सदा काम नहीं आती, यह पाठ भी तो हमें सीखना है. कोरोना ने सारे विश्व की पाठशाला खोल दी है, सभी देशों के वासी उसके विद्यार्थी हैं.
रोरोना के साथ ही जीना पड़ेगा अब तो।
ReplyDeleteसावधानियों के साथ।
सही कह रहे हैं आप, सावधानी रखनी होगी !
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 2.7.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा -3750 पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क