Friday, July 3, 2020

चैतन्य: आत्मा -शिव सूत्र


शिव कहते हैं जिस आत्मा को तुम ढूंढ रहे हो वह चैतन्य है. यह संसार जड़-चेतन दोनों से बना है, इसमें जहाँ-जहाँ चेतना हो वहाँ मुझे खोज लेना. एक धूल के कण और एक जीवाणु में कौन चेतन है ? एक जगे हुए और एक सोये हुए व्यक्ति में कौन ज्यादा चेतन है ? हमारा मन जब निद्रा और तन्द्रा से भरा हो या किसी खतरे को देखकर सौ प्रतिशत सचेत हो तो दोनों में से कौन ज्यादा चेतन है ? यह चेतना जब किसी बुद्ध पुरुष  में उस तरह खिल जाती है जैसे कोई कमल का फूल तो वहीं शिव प्रकट हो जाते हैं. मन जब अतीत के कारण पश्चाताप से भरा हो, भविष्य की चिंता से भरा हो या वर्तमान में तुलना से भरा हो तो चेतना पर एक आवरण छा जाता है. इसी को अहंकार कहते हैं जो शिव से जुदा रखता है. गुरु के बिना यह ज्ञान नहीं मिलता, शिव आदि गुरु हैं.



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