Wednesday, July 22, 2020

सार-सार को गहि रहे

कोरोना का कहर जारी है. पूरा विश्व इस कठिन दौर से गुजर रहा है. साथ ही कहीं बाढ़, कहीं भूकम्प तो कहीं बादल फटने या बिजली गिरने जैसी प्राकृतिक आपदाएं भी मानव की परीक्षा ले रही हैं. इसी आपदकाल में कहीं युद्ध के अभ्यास भी चल रहे हैं, आतंकवाद भी जारी है और राजनीतिज्ञ भी अपनी चालों से बाज नहीं आ रहे हैं. यानि ऊपर-ऊपर से लगता है, दुनिया जैसी चल रही है उसमें किसी का भला होता नहीं दीख रहा. किन्तु सिक्के का दूसरा पहलू भी है, लोग एक दूसरे के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो रहे हैं, परिवार जो वर्षों से अलग अलग थे एक छत के नीचे रह रहे हैं. घर से काम करने से ट्रैफिक की समस्या घट गयी है, सड़क दुर्घटनाएं बन्द हो गयी हैं. प्रदूषण बहुत कम हो गया है.  वातावरण शुद्ध हो रहा है. बच्चों पर पढ़ाई का दबाव नहीं है, वे बुरी संगत से बच रहे हैं. बाहर खाना खाने  की प्रथा बढ़ती जा रही थी, उसकी बजाय लोग घर पर पारंपरिक भोजन बना रहे हैं. योग साधना का समय मिल रहा है. जीवन के प्रति सजगता बढ़ रही है. प्रकृति को शायद विश्राम चाहिए था इसलिए वह फल-फूल रही है. नदियां साफ हो गयी हैं. हवा शुद्ध हो गयी है. क्यों न हम सकारात्मकता का दामन पकड़ें और इस समय को गुजर जाने दें. 

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