सितम्बर २००६
संतजन
कहते हैं कि हम समस्या मूलक भी बन सकते हैं और समाधान मूलक भी. यदि हम अपने केंद्र
से जुड़े नहीं हैं तो समाधान मूलक हो जाते हैं. केंद्र से जुड़े रहने के लिए एक आधार
चाहिए, एक सूक्ष्म तन्तु, जो कि प्रेम ही हो सकता है. यदि हम परिधि पर ही रह गये
तो दूसरों के साथ-साथ स्वयं के लिए भी समस्या खड़ी कर देंगे. परिधि पर रहने से हम
डगमगाते रहते हैं, केंद्र से जुड़े रहना स्थिरता प्रदान करता है. आत्मा केंद्र है,
मन परिधि है, मन स्वयं ही योजनायें बनता है फिर उन्हें तोड़ता है. वह कल्पनाओं का
जाल अपने इर्द-गिर्द बुना लेता है. हमें सच्चाई की ठोस जमीन चाहिए न कि कल्पना का
हवा महल. हम सत्य के पारखी बनें.
तत्व पूर्ण ....बहुत सुंदर बात ...!!
ReplyDeleteस्वागत व आभार अनुपमा जी
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