Wednesday, July 23, 2014

अति मीठी है कथा प्रभु की

नवम्बर २००६ 
भगवद कथा हमारे मन में जाकर हमें हमारे स्वभाव की ओर लौटा ले जाती है. यह तारक है, रोम-रोम को रसपूर्ण कर देती है. आनंद की ऐसी वर्षा करती है कि हृदय भीतर तक भीग जाता है. भीतर जो आनन्द का सृजन करे वह कथा ही तो है, शब्दों के रूप में उसी की प्रतिमा है. कथा से हमें कितना कुछ मिलता है, ज्ञान, भक्ति, प्रेम, रस, प्रेरणा और जीने को सही ढंग से जीने की कला भी भगवद कथा सिखाती है. 

9 comments:

  1. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (25.07.2014) को "भाई-भाई का भाईचारा " (चर्चा अंक-1685)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।

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    1. बहुत बहुत आभार राजेन्द्र जी !

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  2. मधुरादिपतेरखिलं मधुरम् ।

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    1. सुंदर वचन शकुंतला जी

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  3. श्रावण में तो इसका महत्व और भी अधिक है।

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    1. सही कहा है शास्त्री जी !

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  4. सुकून शांति देती है कथा

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  5. जितना पढ़ो , सुनो उतनी ही ज्यादा ज्ञान प्राप्ति होती है , इसीलिए कहा भी गया है कि इसका श्रवण बार बार करना चाहिए

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  6. सविता जी, व महेंद्र जी स्वागत व आभार !

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