फरवरी २००७
रात्रि काल में हम जो स्वप्न देखते हैं, वे हमारी इच्छा से नहीं
आते, एक तरह से वे हम पर थोपे जाते हैं. जब भीतर की चेतना जगती है, तब सपनों पर
हमारा अधिकार हो जाता है. जो स्वयं को सोये हुए देख लेता है वह भय से छूट जाता है साधना
के द्वारा योगी मृत्यु का भी ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं. अपने अगले जन्म की तैयारी
हम इसी जन्म में कर सकते हैं. भगवान शिव ने पार्वती को जीवन और मृत्यु का यह अद्भुत
ज्ञान दिया था.
अद्भुत ज्ञान ...बहुत सुंदर ...!!
ReplyDeleteस्वागत व आभार अनुपमा जी !
ReplyDeleteबढ़िया जानकारी।
ReplyDelete