जनवरी २००७
हर कामना की पूर्ति के
बाद हम मोक्ष का अनुभव करते ही हैं तथा बोध तो आकाश की तरह हर जगह है. हर श्वास के
साथ जैसे निश्वास है वैसे ही हर कर्म के पीछे उससे मुक्ति तो है ही, न हो तो जो
सुख हमें कर्म से मिल रहा है वह दुःख में बदल जायेगा. छोटे-छोटे कार्यों में जब हम
मुक्ति का अनुभव करते हैं तो एक दिन उस परम मुक्ति का भी अनुभव हो जाता है जिसे
पाकर कुछ पाना शेष नहीं रहता.
बहुत सुंदर है इबादत है ये तो।
ReplyDeleteस्वागत व आभार वीरू भाई !
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