जनवरी २००७
अध्यात्म
का सबसे बड़ा चमत्कार, सबसे बड़ी सिद्धि यही है कि हम अपने बिगड़े हुए मन को सुधार
लें. मानव होने का यही तो लक्षण है कि साधना के द्वारा मन को इतना शुद्ध कर लें कि
मन से परे जो शुद्ध, बुद्ध आत्मा है वह उसमें प्रतिबिम्बित हो उठे. ज्ञान के
द्वारा उसे जानना है, सद्कर्म के द्वारा उसे पाना है, भक्ति के द्वारा उस का आनंद
सबमें बाँटना है. सेवा भी होती रहे तो मन शुद्ध बना रहेगा. जब तक अपने लिए कुछ
पाने की, कुछ बनने की वासना बनी हुई है तब तक मन निर्मल नहीं हो सकता. व्यवहार जगत
में लेन-देन चलता रहे पर भीतर हर पल यह जागृति रहे कि हम आत्मा हैं जो अपने आप में
पूर्ण है !
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