प्रेम कितने-कितने रूपों में हमारे सम्मुख आता है कई बार हमें स्वयं भी ज्ञात नहीं
होता कि किसी के प्रति इतना प्रेम हमारे अंतर में छिपा है, पर वह अपना मार्ग स्वयं
ही ढूँढ लेता है. यदि हमें किसी वस्तु, व्यक्ति अथवा परिस्थिति से प्रेम है तो वह
वहाँ तक जाने का मार्ग स्वयं ही तलाश कर लेगा, प्रेम सच्चा है यही उसकी परख है.
उसके सम्मुख फिर संसार की कोई बाधा नहीं रह जाती, वह ऊँचा हो जाता है, हमारा मन,
बुद्धि, भावनाएँ सभी उस पावन प्रेम की बाढ़ में बह जाती हैं. जिस क्षण हम ऐसा
विशुद्ध प्रेम पाते हैं, वह क्षण भी दैवीय होता है और वह क्षण एक निरंतर चलने वाली
प्रक्रिया की परिणति होता है, यकायक हम इतना सारा प्रेम तभी अनुभव करते हैं जब
अचानक कोई निधि मिल जाये, फिर उसे धीरे-धीरे अपने भीतर समोने लगते हैं, जब पोर-पोर
में वह रिस रहा होता है तो हम यह जानते भी नहीं, फिर एक क्षण में वह प्रकट होता है
अपने पूर्ण वैभव के साथ. ईश्वर के प्रति प्रेम भी ऐसे ही धीरे-धीरे मन में एकत्र
होता जाता है. ईश्वर से जो प्रेम हमें हर पल मिलता है हम उसे सहेजते जाते हैं अन्जाने
ही, फिर वही प्रेम कभी आँखों से बह निकलता है, तो कभी कोई गीत बनकर. प्रेम एक बहुत
उच्च भावना है, यह कचोटती भी है, सहलाती भी है, यह हमें उदात्त बनाती है, हम प्रिय
का हित चाहते हैं और अधिक प्रेम में भर जाते हैं. संत इसी प्रेम को भक्ति का नाम
देते हैं, प्रेम के लिए प्रेम ! एक अनवरत धारा जो प्रिय के प्रति हमारे मन में
बहती है, चाहे वह उसे जाने अथवा नहीं हमें इसकी परवाह नहीं होती, क्योंकि प्रेम
अपना मार्ग खोज ही लेता है.
बहुत सार्थक और सारगर्भित आलेख ....
ReplyDeleteआभार अनीता जी ...!!
प्रेम की गहन और सुन्दर व्याख्या करती ये पोस्ट शानदार है सच है प्रेम पानी की तरह अपना रास्ता खुद बना लेता है ।
ReplyDeleteपूर्णत: सहमत हूँ ... आपकी बात से
ReplyDeleteप्रेम पर आपने बहुत ही प्रेमपूर्ण लिखा है.
ReplyDeleteआपके लेखन से प्रेम हो रहा है.
आभार,अनीता जी.
आपका स्वागत है..आभार !
Deleteएक प्रेम के कई रूप हैं
ReplyDeleteकहीं छांव यह कहीं धूप है
कहीं ये भक्ति कहीं है शक्ति
कहीं विरक्ति कहीं आसक्ति|
ऋता जी, आपने सही कहा है, प्रेम के रूप अनेक हैं..आभार!
Deleteप्रेम को भी परिभाषित किया जा सकता है ,नहीं मालूम था
ReplyDeleteराजेश जी,यह परिभाषा नहीं है यह तो अनुभव है..अनुभव से ही इसे जाना जा सकता है..आभार!
Deleteअनुपमा जी, सदा जी व इमरान आप सभी का स्वागत व आभार !
ReplyDeleteप्रेम पर अति प्रेममयी प्रस्तुति। बधाई।
ReplyDelete