बुराई की बहुत सारी शक्लें हैं, बहुत सारे चेहरे हैं, पर बुराई अपनी असली शक्ल हमें
नहीं दिखाती. वह सदा अच्छाई का लिबास ओढ़ कर आती है, उसमें इतनी हिम्मत नहीं कि
अपने असली रूप में सामने आये. हम जब असत्य बोलते हैं तो यही कहते हैं कि सत्य बोल
रहे हैं. बेईमानी करने वाला भी स्वयं को ईमानदार घोषित करता है. फरेब, धोखा, जुर्म
सभी इतने कमजोर हैं कि उनको करने वालों को उनसे कोई सहारा नहीं मिल सकता. विकारों
में उतनी ताकत नहीं जितनी संस्कारों में है. मानव का हृदय दोनों में से किसी की
आधीनता स्वीकार नहीं करता. दिल ही हमारा सच्चा निर्णायक है. वह हमारा साथ तभी तक
देता है जब तक हम सच्चाई के रास्ते पर चलते हैं, गलत कार्य करना तो दूर उसका विचार
ही हमारे दिल को बेकाबू कर देता है. वह धड़क कर हमसे शिकायत करता है, हमें टोकता
है, कचोटता है जिससे हम पुनः सही मार्ग पर आ सकें. अपने दिल पर यदि किसी की हुकुमत
चलती है तो वह है उस दिलबर कि जो सारी कायनात का मालिक है, जिसने इस खूबसूरत दिल
को बनाया है, यह खूबसूरत भी तभी तक है जब तक इसमें उसका निवास है.
haan ek dam sach....vo dil me naahin hai to hum sahi me satya nahin dekh paayenge..kyunki tab dil dhadkega nahin ,shikayat nahin hogi.
ReplyDeleteबिलकुल सत्य.....अनीता जी अब आपको भी अपने ब्लॉग पर आने के लिए कहना पड़ता है :-(
ReplyDeleteबुराई की बहुत सारी शक्लें हैं, बहुत सारे चेहरे हैं, पर बुराई अपनी असली शक्ल हमें नहीं दिखाती. वह सदा अच्छाई का लिबास ओढ़ कर आती है
ReplyDeleteसच कहा आपने सच के सामने टूट जाने का डर
बुराई में हमें अपनी शक्ल नहीं दिखालाइ देती,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST LINK...: खता,,,
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अमृत वचन..
ReplyDeleteभावना जी, रमाकांत जी, धीरेन्द्र जी व अमृता जी, आप सभी का स्वागत व आभार !
ReplyDeleteसुंदर वचन ..
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