नवम्बर २००४
नव मास, नव प्रभात, नव उल्लास तथा नव ज्ञान ! एक विचार खत्म
हो गया है, दूसरा अभी आया नहीं है, बीच का वह पल.. वही जानने योग्य है. एक श्वास
अभी पूरी हुई है, दूसरी लेने के मध्य में जो सूक्ष्म अन्तराल है, वह नित्य है, सत
है, आनन्द का क्षण है. वह यदि हमें हर पल स्मरण रहे तो हम निरंतर ईश्वर के
सान्निध्य में रहते हैं, और उन विचारों का भी दिनोंदिन परिष्कार होता चला जाता है
जिन्हें हम वर्तमान में रहने के कारण प्रश्रय नहीं देते. हमारे अंदर की अनंत
सम्भावनाओं को उजागर करने की दिशा में रखा गया कदम ही तो साधना है. सद्गुरु हमें
कितने सरल उपाय बताते हैं, सहज, सरल विश्वासी होकर जीना सिखाते हैं.
हमारे अंदर की अनंत सम्भावनाओं को उजागर करने की दिशा में रखा गया कदम ही तो साधना है....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर विचार सरणी
ReplyDeleteVirendra Sharma @Veerubhai1947
24m
ram ram bhai मुखपृष्ठ शनिवार, 20 जुलाई 2013 WHAT GOD DOES NOT DO
http://veerubhai1947.blogspot.com/
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राहुल जी व वीरू भाई, स्वागत व आभार !
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