नवम्बर २००४
यदि हमें अपने परिवेश के प्रति सामंजस्य बनाये रखना है, अपने
आस-पास के वातावरण को प्रेम की महक से भरना है, मन को समता में रखना है तो अपने स्वभाव
को परखना होगा, उसे बदलने का संकल्प लेना होगा. संकल्प यदि गहरी श्वास के साथ लिया
जाये तो अधिक प्रभावशाली हो जाता है. रात को सोने से पूर्व भी यदि कोई संकल्प लेकर
सोयें तो वह अंतर में गुंजित होता रहता है. प्रेम, शांति, प्रसन्नता आदि ऐसे उपहार
हैं जो बाटंने से ही मिलते हैं. सद्गुरु के प्रति अपार प्रेम का अनुभव जब भीतर
होता है तो मन, प्राण व अंतरतम तृप्त हो जाते हैं.
अपने आस-पास के वातावरण को प्रेम की महक से भरना है, मन को समता में रखना है तो अपने स्वभाव को परखना होगा, उसे बदलने का संकल्प लेना होगा....
ReplyDeleteso nice...
स्वागत व आभार राहुल जी
Deleteआपकी इस शानदार प्रस्तुति की चर्चा कल मंगलवार २३/७ /१३ को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है सस्नेह ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार राजेश जी
Deleteमुख कस्तूरी महमही ,वाणी फूटी वास !
ReplyDeleteकृपा गुरु की जब हुई, पूरी हो सब आस
Deleteसार्थक चिंतन ... गहरी सांस के साथ लिया संकल्प ...
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