नवम्बर २००४
ध्यान करने से पूर्व आवश्यक है कि लक्ष्य का निर्धारण कर
लिया जाये, चित्त की शुद्धि के लिए या भक्ति की प्राप्ति के लिए. इससे ध्यान की
उर्जा केन्द्रित होगी अन्यथा इधर-उधर बिखर जाएगी. ऊर्जा के सही प्रवाह के लिए
रास्ते भी बनाने होंगे अन्यथा बिना नालियों वाले खेत की तरह पानी खेत को ही बर्बाद
कर देगा. ध्यान के द्वारा हम अपने मन की गहराइयों में छिपे संस्कारों को बदल सकते
हैं. भीतर कोई गाँठ न रहे, हृदय खुलता जाये, पारदर्शी हो जाये, ताकि मनके दर्पण
में आत्मा का सूरज चमकने लगे, यही ध्यान से होना है. जीवन से व्यर्थ कब विदा होने
लगता है, पता ही नहीं चलता. जो चिर है, शुभ है, सुंदर है वही हमारा अभीष्ट हो जाता
है.
सत्यम शिवम सुंदरम ....बहुत सुंदर ...!!
ReplyDeleteध्यान के द्वारा हम अपने मन की गहराइयों में छिपे संस्कारों को बदल सकते हैं. भीतर कोई गाँठ न रहे, हृदय खुलता जाये, पारदर्शी हो जाये, ताकि मनके दर्पण में आत्मा का सूरज चमकने लगे, यही ध्यान से होना है....
ReplyDeleteबेहतरीन..
अनुपमा जी, राहुल जी स्वागत व आभार!
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