Thursday, January 8, 2015

कारण में ही कार्य छुपा है


ज्ञान तो मिल जाता है सद्गुरु से, पर उसमें टिकने के लिए आसक्ति का त्याग करना पड़ता है. हमारा भौतिक शरीर और मन ही हमें गुलाम बना देता है. हम जो आत्मा का आनंद लेना चाहते हैं, इन तामसिक सुखों की आसक्ति का त्याग नहीं कर सकते. परमात्मा का ज्ञान जीव को ब्रह्म पद प्रदान करता है और परमात्मा का प्रेम ब्रह्म को जीव बना देता है. धीरे-धीरे जब ज्ञान और प्रेम बढ़ते जाते हैं तब जीव और ब्रह्म में एकता होने लगती है. शब्द में जैसे अर्थ बताने की शक्ति है वैसे ही कार्य में, कारण में जाने की शक्ति है. आनंद दायिनी चेतना की सत्ता ही कण-कण में व्याप्त है. हरेक में वही छुपा है. जो दूसरों के भीतर परमात्मा के दर्शन कर सकता है वही कण-कण में व्याप्त सत्ता, चेतनता और आनंद अनुभव कर सकता है. 


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