फरवरी २००४
हम पदार्थ और ऊर्जा
दोनों से बने हैं. शरीर पदार्थ से बना है, और मन ऊर्जा से, शरीर को स्वस्थ रखने के
लिए हम अनेकों प्रयत्न करते हैं वैसे ही मन को स्वस्थ करने के लिए ही अध्यात्म है.
सौंदर्य प्रियता, सत्य के लिए प्रेम, शुभ के प्रति श्रद्धा ही अध्यात्म है. जब हम
अध्यात्म से दूर होते हैं तो क्रोध, मोह तथा विस्मृति के शिकार होते हैं, तब जीवन
एक दुखद श्रंखला बन जाता है, जिसमें थोड़ी-थोड़ी दूर पर सुख आता तो है पर टिकता
नहीं. सहज प्राप्य प्रसन्नता ही शाश्वत सुख है, जो अध्यात्म की साधना से ही मिलता
है.
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