Saturday, July 22, 2017

निज स्वभाव है सदा एक रस

२३ जुलाई २०१७ 
संत, शास्त्र और हमारे जीवन के अनुभव हमें बताते हैं कि धर्म ही हमें थामता है. धर्म जो हमारा स्वभाव है, वही ताओ है, वही नियम है, वही ऋत है और वही जानने योग्य है. हम इस जीवन में अनेक लोगों से मिलते हैं पर खुद से मिलना मृत्यु तक टालते रहते हैं. हम जगत को महत्व देते हैं पर जो इस जगत को देखता है, उस आत्मा को अनदेखा ही रहने देते हैं. द्रष्टा दृश्य से बड़ा है या छोटा ? छोटी सी आँख में इतना बड़ा आकाश समाने की शक्ति है, छोटे से मन में सारा ब्रह्मांड समा जाता है. कितनी अपार शक्ति है हमारे भीतर. अनेक जन्मों के अनंत संस्कार मन पर अंकित हैं. स्वयं को पहचान कर ही हम सदा अडोल रह सकते हैं.

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