Monday, July 3, 2017

ज्ञान बिना सुख इक सपना है

४ जुलाई २०१७ 
संत कहते हैं, सुख के पीछे जाने से दुःख पीछे आता है, ज्ञान के पीछे जाने से सुख पीछे आता है. समझदारी तो इसी में हुई कि हम ज्ञान का अनुशीलन करें. भगवद्गीता में कृष्ण ने सुंदर शब्दों में ज्ञान की व्याख्या की है. वैराग्य की भावना, इन्द्रियों का निग्रह, शोक और भय से मुक्ति, अहंकार का त्याग ये सभी ज्ञान के लक्षण हैं. दुःख का कारण सुख की लालसा है, मिल जाने पर उसके खो जाने का भय भी दुःख का कारण है और बाद में उसकी स्मृति भी दुःख का कारण है. ज्ञान का चिंतन करने से ही मन शांति का अनुभव करता है और शांति के बाद उपजा सुख शाश्वत होता है. 

6 comments:

  1. सत्य एवं सारगर्भित कथ्य अनीता जी !!

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    1. स्वागत व आभर अनुपमा जी !

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  2. ज्ञान का चिंतन ... पास असल ज्ञान कहाँ है ... इसकी खोज भी जरूरी है आज के युग में ...

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    1. सही कहा है, ज्ञान के नाम पर सूचनाओं को एकत्र करने से कोई लाभ नहीं..असल ज्ञान तो शास्त्रों से मिलता है या सद्गुरू से..और अंत में भीतर से..

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  3. ज्ञान बिना सुख एक सपना....
    बहुत सुन्दर.....

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    1. स्वागत व आभार सुधा जी !

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