९ जुलाई २०१७
जीवन में गुरू का पदार्पण एक अद्वितीय घटना है, इसे एक महान घटना भी कहा जाये तो
कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. जब किसी के मन में सत्य के लिए, गुरू के लिए प्यास जगती
है तो परमात्मा की व्यवस्था से गुरू का आगमन होता है. यह सही है कि शिष्य ही गुरू
को नहीं खोजता गुरू भी किसी अदृश्य शक्ति के द्वारा शिष्य तक पहुँच जाते हैं. जब
तक जीवन में गुरू की सच्ची आवश्यकता महसूस नहीं हुई है तब तक हम उसके महत्व को समझ
नहीं पाते, लेकिन उसकी इतनी कृपा है कि अपने ज्ञान और प्रेम के बल पर वह हमारे मन
में उस चाह को भी जगाता है. इसलिए चाहे अभी हमें गुरू के महत्व की जानकारी हो या न
हो, गुरू के चरणों में बैठकर ज्ञान प्राप्त करने की ललक भीतर जगाएं और व्यास
पूर्णिमा के इस सुंदर पर्व पर अपने जीवन को सुंदर दिशा दें.
आपको भी शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteस्वागत व आभार अमृता जी !
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