६ जुलाई २०१७
सुबह से शाम तक हम अनगिनत सूचनाओं को प्राप्त करते हैं, अख़बार, टेलीविजन,
पत्रिकाएँ, मित्रों व पुस्तकों के माध्यम से हम जगत का ज्ञान प्राप्त करते हैं. आजकल
तो सुबह-सुबह मोबाइल पर ही सुंदर ज्ञान के सूत्र पढने को मिलते हैं किन्तु इस
ज्ञान से हमारा आध्यात्मिक विकास नहीं होता. इसके लिए तो साधना के पथ पर कदम रखना
ही होगा. जीवन में एक अनुशासन हो, नियमित योगाभ्यास व व्यायाम हो, उचित समय पर सोना
व जगना हो और स्वाध्याय हो. स्वाध्याय का अर्थ है केवल शास्त्रों का अध्ययन नहीं है, इसका एक अर्थ है स्वयं का अध्ययन. स्वयं का ज्ञान
होने पर ही हम स्वयं का अध्ययन कर सकते हैं. गुरू अथवा शास्त्रों के माध्यम से हमें स्वयं का पता चलता है. स्वयं का ज्ञान ही हमें संसार की दौड़ से मुक्त कर देता
है, यही वास्तविक ज्ञान है. इसके होने पर जीवन पूर्ववत् चलता रहता है बस मन जिस
शांति व स्थिरता का अनुभव करता है, वह किसी बाहरी घटना से खंडित नहीं होती.
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