Monday, January 7, 2013

धर्म वही जो धारण करें


जनवरी २००४ 
धर्म का पालन करने के साथ-साथ नैतिक मूल्यों का विकास भी होना चाहिए, हमारी संवेदनशीलता भी कम न हो, धर्म का मात्र बाहरी रूप ही न बढ़े बल्कि आंतरिक रूप विकसित होना चाहिए. धर्म का पहला लक्षण ही है नैतिकता, ईमानदारी तथा सच्चाई ! हम अपनी आत्मा पर पहले ही कई धब्बे लगा चुके हैं अब धर्म के नाम पर तो उस पर नया धब्बा न लगे क्योंकि दम्भ के समान दूसरा कोई पाप नहीं, हम अध्यात्म के अधिकारी तभी हो सकते हैं जब हमारा मन संवेदना से भरा हो, ज्ञान, भक्ति व कर्म का समन्वय ही हमें इस मार्ग पर आगे ले जा सकता है. नियमित साधना, पल-पल सजगता हमें अवांछित विचारों तथा भावों को मन में जड़ें जमाने से रोकेगी. धर्म वही सही है जो व्यवहार में उतरे वरना वह मनोविलास ही होगा. कथन, चिंतन और कर्म में समानता, हर कार्य में सौ प्रतिशत प्रयास ही हमें प्रगति की ओर ले जायेगा.

3 comments:

  1. शायद उस परम सत्ता तक पहुँचने के लिए अपनाए गए विभिन्न मार्ग को ही हम धर्म समझ बैठे हैं ..

    सनातन धर्म के अनुसार मानव धर्म ...."सहृदयता, सहिष्णुता, आदि सही धर्म है। दूसरे शब्दों में "इंसानियत" बखूबी से आपने धर्म को व्याख्यित किया है .....आभार! "जय श्री कृष्ण"

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  2. धर्म का पालन करने के साथ-साथ नैतिक मूल्यों का विकास भी होना चाहिए......पूर्णतया सहमत ।

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  3. जय श्री कृष्णा....

    परहित सरिस धर्म नहिं भाई, पर पीड़ा सम नहिं अधमाई।
    निर्नय सकल पुरान बेद कर. कहेउँ तात जानहिं कोबिद नर॥

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