Tuesday, October 9, 2012

भीतर एक शांति अनुपम


सितम्बर २००३ 
मौन में जो आनंद है, वह अन्यत्र नहीं है, चुपचाप बैठकर भीतर-बाहर मधुर संगीत को सुनने का अनुभव अनुपम है. ध्यान की गहन शांति मोहती है. मौन में एक अनोखा आकर्षण है. मन जब भीतर से खाली हो जाता है, संकल्प-विकल्प, आशा-निराशा, सुख-दुःख के द्वंद्वों से अतीत तब भीतर जो गूंज उठती है उसका संग-साथ प्रेरणास्पद है. वह आश्वासन भरा मौन है, वह हम सहज करने वाला है, वह हमें प्रेम से भर देने वाला है, प्रेम भी ऐसा, जो निःशब्द है, जो हित चाहता है, जो मुक्त करता है, जो प्रश्न नहीं करता, जो बस है, न ही वह प्रमाण देता है. ओढ़ा गया मौन हम असहज बना सकता है. पर जो मौन भीतर से आता है वह अडोल है, जिसे कोई बाहरी व्यवधान भंग नहीं कर सकता. मानो पूरे ब्रह्मांड में साधक अकेला हो, पर इसमें कोई भय नहीं है, यह एकांत परम के सामीप्य में रहने का अवसर देता है, यह सुखद है.

5 comments:

  1. बिलकुल सहमत हूँ इससे ।

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  2. बिल्‍कुल सही कहा आपने

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  3. मौन में ही सार संचित है

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  4. इमरान, सदा जी, रश्मि जी, अश्विनी जी आप सभी का स्वागत व आभार !

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