मई २००५
स्थूल
शरीर पांच तत्वों से बना है, सूक्ष्म शरीर अठारह तत्वों से बना है, पांच
कर्मेन्द्रियाँ, पांच ज्ञानेन्द्रियाँ तथा पांच प्राण, मन, बुद्धि व अहंकार. कारण
शरीर हमारी समस्त वासनाओं, कामनाओं तथा आकांक्षाओं से निर्मित है. मृत्यु के बाद
स्थूल शरीर का नाश हो जाता है पर सूक्ष्म शरीर बना रहता है. यह तीनों शरीर तीन
अवस्थाओं का बोध कराते हैं, जागृत अवस्था में स्थूल शरीर, स्वप्न अवस्था में
सूक्ष्म शरीर तथा गहरी नींद की अवस्था में कारण शरीर सक्रिय रहता है. चौथी अवस्था
में जाने के लिए इन तीनों के पार जाना होता है. हमारे शरीर के पांच कोष भी इन्हीं
तीनों शरीरों में बद्ध हैं. जब तक एक भी इच्छा शेष है, तब तक हमें पुनः-पुनः जन्म
लेना पड़ेगा. जब ज्ञान के द्वारा सभी वासनाओं का क्षय हो जायेगा, या भक्ति के
द्वारा वे सभी दिव्य हो जाएँगी तभी हमें मुक्ति का अनुभव होगा. साधना के पथ पर
चलते हुए जब भीतर विश्वास जगता है तब यह कार्य उतना ही सहज हो जाता है जितना पलक
झपकाना. ईश्वर हमारे निकटस्थ है. वह सहज प्राप्य है.
एक-एक शब्द....गहन....
ReplyDeleteमन को शीतलता देते भाव ....बहुत सुंदर आलेख अनीता जी ।
ReplyDeleteअमृता जी व अनुपमा जी आप दोनों का स्वागत व आभार !
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