Wednesday, December 18, 2013

तूने ही भेजे हैं जो सुख-दुःख सारे हैं

मई २००५ 
जब हम किसी स्थिति में स्वयं को असहाय महसूस करते हैं और ईश्वर को पुकारते हैं, तब वह आता है, किसी न किसी रूप में हमें सहायता मिलती ही है. ऐसा नहीं है कि हम ही उसके आकांक्षी हैं, वह भी हमें उतना ही चाहता है. इसका प्रमाण है कि हम सदा आनन्द चाहते हैं, और वह आनन्द स्वरूप है, वह जानता है, उसे भूलना ही हमारे लिए दुःख का कारण है. वह जब देखता है कि हम व्यर्थ ही संसार में उलझ रहे हैं और गलत जगह पर खोई हुई वस्तु को खोज रहे हैं तो हमारे जीवन में कोई न कोई विपत्ति भेज देता है ताकि हमारा ध्यान उसकी ओर हो सके. वह सुह्रद जो है.

5 comments:

  1. सत चित आनंद समान ....शाश्वत सत्य में परमानंद है .....उसी में ईश्वर छिपा है ....

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  2. ईश्वर की माया ईश्वर ही जानता है ...

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  3. यही परम सत्य है।

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  4. अनुपमा जी, दिगम्बर जी, धीरेन्द्र जी व वीरू भाई आप सभी का स्वागत व आभार !

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