२९ दिसम्बर २०१७
जीवन का हर पल अनंत सम्भावनाएं छिपाए है. अगले पल क्या घटने
वाला है, कोई नहीं जानता. हर घड़ी एक नया अवसर लेकर हमारे सम्मुख आती है. हम क्या
चुनते हैं, यह हम पर निर्भर है. समय की धारा तो बही जा रही है. उसमें कुछ सूखे हुए
पुष्प हैं तो कुछ नव कुसुमित कमल भी, कुछ बासी मालाएं हैं तो कुछ सूर्य की नव रश्मियाँ
भी, हमारी दृष्टि किस पर है, सब कुछ इस पर निर्भर करता है. कोई यूँही सोये-सोये
भोर गंवा देता है तो कोई निकल पड़ता है, सुबह की लालिमा और हवा की स्नेह भरी छुअन
को समेटने, परमात्मा को धन्यवाद देने अथवा तो ध्यान, सुमिरन में डूबने, जिससे ऊर्जा
के उस महत स्रोत से वह जुड़ जाये और अपने भीतर ही तृप्ति का महासागर उसे मिल जाये.
जीवन अनमोल है इसका मर्म जाने बिना इसका कीमत का अंदाजा नहीं होता. आने वाले वर्ष
में अन्य लक्ष्यों के साथ इस एक खोज को भी जोड़ लें तो नया वर्ष कभी बीतेगा ही
नहीं.